The Journey of Million Emotions: तेरा हुस्न

Monday, October 22, 2012

तेरा हुस्न



ये हुस्न है जो तेरा
इसे चाँद कहूँ या तारा
फिर भी हमें तो इसी ने है मारा

इसकी चाहत में डूबकर  मेरा जहां खत्म हो गया
पता भी न चला और क्या सितम हो गया

इसके लिए दौड़ा -भागा,
छोड़ा सब कुछ
पर कहाँ समझा मैं अभागा
कि ये माया है माया
जिसकी गिरफ्त में मैं आया

इसके लिए सात जन्म की साँसें भी कम है
फिर यह तो  सिर्फ एक ही जन्म है
इसको पाने की लालसा कम न होगी कभी
चाहे करदो अपनों को अजनबी

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