The Journey of Million Emotions: मैं भूल गया........

Tuesday, October 23, 2012

मैं भूल गया........



सुबह होते ही मैं जागता हूँ,
आँख खुलते ही मैं भागता हूँ,
भागता हूँ रोज़ी-रोटी के पीछे,
दबा जाता हूँ इन जिम्मेदारियों के नीचे ।

न जाने कितनी बार रोटी जुटाते-जुटाते,
मैं भूखा ही सो गया,
भूख लगी भी, तो उसे मिटाना भूल गया ।


तेल-घी की कीमत चुकाते-चुकाते,
मैं जल की कीमत तो भूल गया ।


यज्ञ-हवन की सामग्री जुटाते-जुटाते,
मैं ईश्वर को ही भूल गया ।

भाषा ज्ञान करते-करते,
मैं दिल में जो बात थी,वो ही भूल गया ।


 भ्रष्टाचार-अत्याचार की निंदा करते,
मैं खुद सदाचार तो भूल गया ।

न जाने कितनी बार डॉक्टर की फीस के पीछे,
मैं दर्द का एहसास भी भूल गया ।

दुश्मनों से बचते-बचते ,
मैं दोस्तों की दोस्ती ही भूल गया ।

गाड़ियों में  दौड़ते-भागते,
मैं जिन्दगी का ठहराव भी भूल गया ।

इस जिन्दगी को जीते-जीते,
शायद मैं या यूँ कहूँ यकीनन मैं जीना ही भूल गया ............

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