The Journey of Million Emotions

Thursday, August 31, 2017

एक दफा तो कीजिए . .




प्यार खुलके कीजिए,
        उसे हदें ना  दीजिए। 


दिल लगी  में चोट ना होगी ,
         ऐसी चाह ना कीजिए। 
छन्नी होगा शायद दिल ,
                   फिर भी बेपरवाही से कीजिए। 
                  एक दफा तो कीजिए . . 


उनको भी हमसे ही होगा,
      ऐसी शर्त ना कीजिए। 
             शामिल होते 'वो' तो और मज़ा था ,
                  फिर भी इकतरफा ही कीजिए। 
                 एक दफा तो कीजिए . . 


मुक़ाम कोई हासिल करना हो ,
ऐसे सफर ना कीजिए। 
मिल पाते 'वो' तो ओर समां था ,
            फिर भी बिना तलब के कीजिए। 
         एक दफा तो कीजिए . .


खुश होगा संसार सारा, 
         ऐसी बहस ना कीजिए। 
भला -बुरा तो लोग कहेंगे ,
           फिर भी ज़ुर्रत से कीजिए। 
                एक दफा तो कीजिए . .


प्यार खुलके कीजिए,
         उसे हदें ना दीजिए . . 









Sunday, November 17, 2013

वो कहते हैं...
















इतराके हमसे वो कहते हैं
कि हमें पसंद करते ही नहीं,
हम भी नज़रें मिलाके कहते हैं
कि उन्हें पसंद आने के लिए हम जीते भी नहीं।
     हमारी जिंदगी उनको लुभाने में बीत जाए
     ऐसी कोई गलती हम करते ही नहीं,
     मरते हैं हम अपने आप पर इस कदर
     किसी और के प्यार की चाहत हम रखते भी नहीं।


चिल्लाके हमसे वो कहते हैं
कि हमारे ख्यालों से सहमत ही नहीं,
हम भी मुस्कराके कहते हैं
कि उनकी सहमती की हमें ज़रूरत भी नहीं।
      हमारी जिंदगी उनको मनाने में बीत जाए
     ऐसी कोई कोशिश हम करते ही नहीं,
     बयान देंगे हम अपना सीधे उसके दरबार में
     उनसे कोई बहस हम करते भी नहीं।


मुँह बनाके हमसे वो कहते हैं
कि हम उनके आगे टिकते ही नहीं,
हम भी सिर उठाके कहते हैं
कि हम अपनी तुलना उनसे करते भी नहीं।
     हमारी जिंदगी उनको हराने में बीत जाए
     ऐसी कोई साज़िश हम करते ही नहीं,
     हमने बनाए हैं मंज़र उनसे भी ऊँचे
     उनको अपना क्षितिज हम समझते भी नहीं....


Saturday, October 19, 2013

अब इससे मुझे शिकायत है.....



कभी हवा भी चंचल बहती थी ,
          ज़मीं भी उज्ज्वल रहती थी, 
      नदी भी निर्मल होती थी ,
               पर मुझे तस्वीर बदलनी थी.… 
                        अब इससे मुझे शिकायत है।    

कभी साधू भी शिक्षित होता था, 
        निर्धन भी निश्चित सोता था ,
        ज़मीर भी प्रचलित होता था,
         पर मुझे बाज़ार लगाना था.…
                  अब इससे मुझे शिकायत है। । 

कभी बचपन भोला-भाला था,
           यौवन शहद का प्याला था,
      सीधा ढंग निराला था,
                   पर मुझे रफ़्तार में चलना था.…
                       अब इससे मुझे शिकायत है।

कभी बहू राज दुलारी थी,
             ननद बहन सी प्यारी थी ,
           नारी प्रेम की क्यारी थी ,
                  पर मुझे नरमी न गवारी थी.…
                         अब इससे मुझे शिकायत है। ।

कभी जीवन सरल कहानी थी ,
      वक़्त की ना परेशानी थी,
      प्रीत ना यूँ बेईमानी थी,
              पर मुझे सुलझन उल्झानी थी.
                         अब इससे मुझे शिकायत है.…
                         अब इससे मुझे शिकायत है.…


Tuesday, May 28, 2013

हवा की खूबसूरती ...




हज़ारों ख्वाहिशें मेरे दिल में आती हैं ,
जब ये मंद-मंद बहती हवा मुझे छू जाती है । 


ये हवा, जो निस्वार्थ ही बहती है ,
जिसको भी छूती है, मुस्कराहट के कुछ पल देती है ।



इसकी बेफिक्री की हद तो देखो ,
अपना सौंदर्य छुपाये रहती है ,
पर अपने करीब हर ज़र्रे को रूप की सौगात देती है । 


ये हवा, जो पानी से टकराए तो उसे करवटें देती है ,
उसके समतल से आँचल को सलवटें देती है ।
तब जल के दर्पण में हवा की खूबसूरती नज़र आती है । 


ये हवा, जो बादल से टकराए तो उसे रफ़्तार देती है ,
उसकी बिखरी सी सूरत को एक आकार देती है ,
तब घटा के गठन में हवा की खूबसूरती नज़र आती है । 


ये हवा, जो शाक से टकराए तो उसे तरंग देती है ,
उसकी शाखाओं के गुल्म को उमंग देती है ,
तब फुलवारी की महक में हवा की खूबसूरती नज़र आती है । 


ये हवा, जो परिंदे से टकराए तो उसे उड़ान देती है ,
उसके बेकाम से परों को जान देती है,
तब पंखों के मिज़ाज में हवा की खूबसूरती नज़र आती है । 


 ये हवा जो हुस्न  से टकराए तो उसे प्रेरणा देती है,
उसकी शिथिल सी बनावट को उत्तेजना देती है,
तब सौंदर्य की सरलता में हवा की खूबसूरती नज़र आती है । 


हवा जो दिखती नहीं, फिर भी खूबसूरत नज़र आती है ,
अपनी सहजता से सौंदर्य की व्याख्या को ही विस्तृत कर जाती है । 

Monday, April 1, 2013

तो कहियेगा कि मोहब्बत है ...

मेरी शरारती ऑंखें हर किसी की आँखों में ठहर जाती हैं ,
जो कभी ये आँखें बंद हों जाएँ और आप ठहर जाएँ 
तो कहियेगा कि मोहब्बत है ...

मेरी नटखट बातें हर दिल को छू जाती हैं ,
जो कभी ये गुफ़्तगू का सिलसिला थम जाए और दर्द की रग़ छू जाए 
तो कहियेगा कि मोहब्बत है ...

मेरी हँसीं की खन्नक हर चेहरे पर मुस्कान लाती है ,
जो कभी ये खनखनाहट कहीं गुम हो जाए और आपकी मुस्कुराहट अपने संग ले जाए 
तो कहियेगा कि मोहब्बत है ...

मेरी सोलह श्रृंगार की छवि तो हर निगाह को बहुत भाती है ,
जो कभी ये श्रृंगार फीका पड़ जाए और मेरी सादगी दिल में बस जाए 
तो कहियेगा कि मोहब्बत है ...

मेरी खिलखिलाहट मकान को घर बनाती है ,
जो कभी ये ख़ामोश हो जाये और घर सिर्फ पत्थर की संरचना रह जाए 
तो कहियेगा कि मोहब्बत है ...

मेरी सोहब्बत तन्हाई को दूर कर जाती है ,
जो कभी हम दूर चले जाए और भीड़ में भी आप अकेले रह जाए 
तो कहियेगा कि मोहब्बत है ...



Friday, February 15, 2013

औपचारिक होता जा रहा हूँ मैं ...





कितना औपचारिक होता जा रहा हूँ मैं ,
अब जहाँ हंसने कि वजह मिलती है ,वहाँ सिर्फ मुस्करा रहा हूँ मैं,
मुस्कराने का हर मौका तो गवा रहा हूँ मैं ,
बेवजह जटिल होता जा रहा हूँ  मैं ।



कितना औपचारिक होता जा रहा हूँ मैं,
अब अपनों से गले नहीं मिलता ,सिर्फ शिष्टाचार में हाथ मिला रहा हूँ मैं,
उनके करीब आने का हर मौका तो गवा रहा हूँ  मैं ,
बेवजह जटिल होता जा रहा हूँ  मैं ।


कितना औपचारिक होता जा रहा हूँ मैं,
अब खाने को रूचि  से नहीं खाता , सिर्फ छूरी -काँटे को आज़मा रहा हूँ मैं ,
अंगुलि चाटने का हर मौका तो गवा रहा हूँ  मैं ,
बेवजह जटिल होता जा रहा हूँ  मैं ।


कितना औपचारिक होता जा रहा हूँ मैं,
अब मन को छूने वाले गाने नहीं गाता ,चलन की धुन ही गुनगुना रहा हूँ मैं,
मस्ती से चेह्चाहने का हर मौका तो गवा रहा हूँ  मैं ,
बेवजह जटिल होता जा रहा हूँ  मैं ।


कितना औपचारिक होता जा रहा हूँ मैं,
अब मैं अपने दिल की नहीं करता , भीड़ के पीछे चला  जा रहा हूँ मैं ,
मनमानी करने का हर मौका तो गवा रहा हूँ मैं ,
बेवजह जटिल होता जा रहा हूँ  मैं,
सीधी-साधी जिंदगानी को मुश्किल बना रहा हूँ मैं ....



Saturday, February 9, 2013

मैं अपने इस हाल में भी खुश रह लेता हूँ ,
कभी मुस्कराते  हुए रो लेता हूँ ,
तो कभी रोते हुए मुस्करा लेता हूँ |




इतनी झूठी है मेरी जिन्दगी कि  अब सच इत्तिफ़ाक लगता है ,
इतनी आदत हो गई है  ग़म  की कि अब मरहम मजाक लगता है |




गुज़रे वक़्त की तारीफ में आज को खो जाओगे,
जो बीते कल में पहुँचे तो फिर आज में आने की कोशिश में लग जाओगे,
तो बेहतर है आज ही जीलो वरना धोखे में रह जाओगे |





कल की ही तो बात है कि उससे नज़रे मिली ,
आज लगता है कि मैं उसी की हो चली |




ये पल है हसीं ,ये लम्हा बेबसी,
यही है जिन्दगी ,जिसमें मेरी जान है फंसी |






जो गुज़रे कहीं से ख़ुशी तो उसकी मंजिल आप हों ,
अगर ये शर्त हो तक़दीर की कि सिर्फ हम दोनों में से कोई एक  मुस्कराये तो,
यह दिल से दुआ है कि हर बार वो एक आप हों ।





वो हमें याद करने के लिए फुर्सत ढूँढा करते हैं,
और यहाँ आलम यह है की उनके ख्याल हमसे कब रुखसत हों
यह फुर्सत ढूंडा करती है |




ज्यादा न सोच कि लोग क्या सोचेंगे ,वरना जिन्दगी इसी में निकल जाएगी, 
तू दिखावे में व्यस्त होगा और एक दिन जिन्दगी की शाम हो जाएगी ।




ता-जिंदगी मेरे आशियाने में अँधेरा रहा कि घी न था दीप जलाने के लिए ,  हैरान हूँ आज ये देखकर जो शिद्दत से चाहा तो पानी से जल उठे दिये  ।



यह जिन्दगी आपकी है , इसे अपनी खूबियों से सजायें ,
इसे किसी और की खामियों की तालिका बनाने में न गवायें ।