इतराके हमसे वो कहते हैं
कि हमें पसंद करते ही नहीं,
हम भी नज़रें मिलाके कहते हैं
कि उन्हें पसंद आने के लिए हम जीते भी नहीं।
हमारी जिंदगी उनको लुभाने में बीत जाए
ऐसी कोई गलती हम करते ही नहीं,
मरते हैं हम अपने आप पर इस कदर
किसी और के प्यार की चाहत हम रखते भी नहीं।
चिल्लाके हमसे वो कहते हैं
कि हमारे ख्यालों से सहमत ही नहीं,
हम भी मुस्कराके कहते हैं
कि उनकी सहमती की हमें ज़रूरत भी नहीं।
हमारी जिंदगी उनको मनाने में बीत जाए
ऐसी कोई कोशिश हम करते ही नहीं,
बयान देंगे हम अपना सीधे उसके दरबार में
उनसे कोई बहस हम करते भी नहीं।
मुँह बनाके हमसे वो कहते हैं
कि हम उनके आगे टिकते ही नहीं,
हम भी सिर उठाके कहते हैं
कि हम अपनी तुलना उनसे करते भी नहीं।
हमारी जिंदगी उनको हराने में बीत जाए
ऐसी कोई साज़िश हम करते ही नहीं,
हमने बनाए हैं मंज़र उनसे भी ऊँचे
उनको अपना क्षितिज हम समझते भी नहीं....
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